कुछ तो लोग कहेंगे

प्रिय पाठक गण,
    सादर नमन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम, 
    प्रवाह की इस मंगलमय यात्रा में आप सभी का हृदय से स्वागत है, एक बहुत पुराने गीत की पंक्तियां है," कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना" ,
    वैसे तो यह गीत अलग संदर्भ में है, पर देखा जाये तो जीवन
के हर क्षेत्र में यह लागू है,
   जो व्यक्ति सक्रिय होगा, उसकी प्रशंसा व आलोचना दोनों ही होगी, दोनों से ही बचकर समस्त भाव से जीवन को जीने का ढंग अगर हम सीख ले, आत्मसात कर ले, यही जिंदगी का सार तत्व है, आप जीवन में कितना ही अच्छा व बुद्धिमत्ता पूर्ण जीवन को जिये
कुछ लोग आपसे प्रसन्न कुछ नाराज हमेशा ही रहेंगे।
     तब आप क्या करेंगे? क्या आलोचना से घबरा जायेंगे या 
प्रशंसा आपको अभिमान से भर देगी , दोनों ही स्थितियां सही नहीं है, आपको तो अपना जो मूल कर्तव्य है, उस पर निरंतर कार्य करना ही है, आपको निरंतर प्रयास करते जाना है, केवल निरंतर प्रयास के द्वारा ही आप अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं। 
     जीवन में मूलभूत आवश्यकता है पूरी करने के बाद आपके पास जो भी समय बचता है, उसे पर आप अपने किसी भी शौक को जिंदा अवश्य रखें।
   उदाहरण के तौर पर जैसे बागवानी, पुस्तकें  पढ़ना, खेल, व्यायाम, सामाजिक मेलजोल, इनमें से या अन्य कोई भी ऐसी रुचि का क्षेत्र जो आपकी रचनात्मकता को बढ़ाता है, अवश्य रखें, यह आपके जीवन को एक सुंदर गति प्रदान करेगा। 
       जीवन आपका है, जिन आपको है, कुछ मूलभूत सिद्धांत जीवन में अवश्य बनाये, जीवन में कुछ अच्छे मित्र अवश्य बनाये,
जीवन एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया है, मिलन सारिता बनाये रखें,
सभी से संवाद करते रहे, गलतफहमी को जीवन में कभी भी स्थान न दें, वह आपसी संवाद हीनता से उत्पन्न होती है। व्यावसायिक रिश्ते व सामाजिक रिश्ते, पारिवारिक रिश्ते इनमें अंतर अवश्य सीखें, तीनों ही अलग है।
       आप सभी से एक जैसा बर्ताव नहीं कर सकते, व्यापारिक रिश्ते अलग प्रकार के है, पारिवारिक रिश्ते अलग है, सामाजिक रिश्ते अलग है।
      यह त्रिस्तरीय व्यवस्था है, इसे सही तरह से समझे, तीनों ही आपके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसे सही तरह से समझे। 
    समय-समय पर क्या आवश्यक है, क्या नहीं, यह समझना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, समय अनुकूल क्या आवश्यक है, 
समय गति को समझ कर ही कार्य करें। 
    और फिर यह गीत हमेशा याद रखें, कुछ तो लोग कहेंगे, 
आप अच्छा करें तब भी, जिसका जो नजरिया है, वह उसके अनुसार ही  आपसे बर्ताव करता है। 
     मिलिये सबसे , सबके प्रति समभाव रखते, मगर आप जिनसे मिलते हैं, उनके व्यक्तित्व की भी गहरी परख रखें, अनुभव जो हमें जीवन से मिले हैं, व्यर्थ नहीं जाते हैं। अनुभव की गहराई से ही 
जीवन चलता है, रुकना नहीं है, पर सचेत अवश्य रहना है। जीवन में सचेत व सक्रिय रहिये, अपनी सोच पर निरंतर कार्य करते रहें। 

विशेष:-आप हर समय हर किसी को उपलब्ध नहीं हो सकते, आपका भी समय कीमती है, अपने समय की स्वयं भी कद्र करें,
तभी सामने वाला भी आपका समय की कद्र करेगा, कुछ तो लोग कहेंगे यह पंक्ति मैंने इसी संदर्भ में शीर्षक में लिखी है, अपना नियत कर्म ईमानदारी पूर्वक करते रहे। 
आपका अपना 
सुनील शर्मा 
जय भारत 
जय हिंद

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