कृपा जब बरसे

प्रिय पाठक गण,
       सादर नमन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम, 
     हम आज प्रवाह में बात करेंगे ईश्वरीय कृपा पर,  उसकी कृपा बरसती है, अन्य शरणागत भाव से जब भी हम उसे पुकारते हैं, 
वह आज भी तत्क्षण उपस्थित होता है, जब हम पूर्ण भाव से उस
परमात्मा का चिन्तन करते हैं, तो वह भी हमारा चिंतन करता है, 
उसकी मौज में सदा रहे, संसार से अधिक आशा न करें, जो भी
संसार से प्राप्त हो रहा है, वह चाहे मान -सम्मान हो , चाहे वह अपमान हो, सभी को सम भाव से गृहण कर ले, शायद परमात्मा यही चाहता है, जब और कोई मार्ग नहीं सूझे, तब अनन्य शरणागति ही एकमात्र उत्तम उपाय है।
        उसकी कृपा को नित्य, निरंतर महसूस करें, वह सर्वदा है, सभी जगह है, सदा ही साथ में है। उसकी शरणागति से जीवन में 
जो प्राप्ति होती है, वह शब्दों में बयां नहीं की जा सकती है, परम अहो भाव से उसका चिंतन  व स्मरण करते रहे, आपके हित में जो भी होगा, वही वे करेंगे, परम अनन्य भाव से उनका मंगल चिंतन करें, अपने जो कर्तव्य-कर्म है, उन्हें पूर्ण सही ढंग से करने की कोशिश करें, उसकी कृपा व शरणागति को हमेशा याद रखें,
उसका चिंतन कभी भी विस्मृत हो।
       वह एक द्वार बंद करता है, तो दूसरा द्वार अवश्य खोलता है,
इस संसार -सागर को मात्र उसकी कृपा से ही  पार किया जा सकता है, अतः कोई भी शंका मन में न रखते हुए उसकी महिमा
का गुणगान करते हुवे परम अहो भाव से स्मरण करते हुए बगैर किसी विचलन के अपने नित्य कर्म को करते रहें।
     जो भी आपके हित में होगा, होगा बस वही, अपने माता-पिता, 
गुरुजनों व वरिष्टो का सम्मान करते हुए वह बराबरी वालों को छोटों से स्नेहपूर्ण व्यवहार करते रहे, फिर जो भी होगा, वह केवल मंगल ही होगा। 
     उसकी अनन्य कृपा को जीवन में धारण करें, उसकी कृपा को भी हम तभी धारण कर सकते हैं, जब वह चाहता है, अन्यथा हमारा भाव भी उधर नहीं होगा। 
     उसने सब कुछ दिया, परम पिता का, इस सृष्टि का धन्यवाद
करें, हम सुबह स्वस्थ उठ रहे हैं, क्या यह उसकी कम कृपा है, 
नित्य प्रति  मंगल प्रार्थना प्रभु से अवश्य करें, सब अच्छा ही होगा, 
केवल मंगल ही होगा। 
 विशेष:- आपके जो भी मूल कर्तव्य  हैं, उनके परिपालन से ही आप उन तक पहुंच सकते हैं, उसका नित्य चिंतन, नित्य मनन करते हुए अपने कर्तव्यों को भी निभाते जाये, उनसे अपना मुख न मोड़ें, शेष भार उस परम पिता पर छोड़ दे, जो भी आपके लिये अनुकूल होगा, केवल वही होगा। 
आपका अपना 
सुनील शर्मा 
जय भारत 
जय हिंद।

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