सादर नमन,
आज प्रवाह में मेरा विषय है, गरिमापूर्ण जीवन, हम सभी का जीवन अनेक प्रकार के उतार-चढ़ाव से गुजरता है, कई बार कोई हमारा अपमान भी कर देता है, उसे समय भी अगर हम अपने धैर्य को कायम रख सके, तो हम मानवीय गरिमा को छू लेंगे, आज के समय में सबसे बड़ा महत्व वाणी का ही है, हम अपनी वाणी से क्या कहते हैं, उस पर अमल करने की कितनी कोशिश करते हैं,
यह अधिक महत्वपूर्ण है, माना कि हम अपने जीवन में सभी की आकांक्षाओं पर खड़े नहीं उतर सकते, मगर विनम्रता पूर्वक हम किसी कार्य के लिए मना भी कर सकते हैं, जो संभव नहीं हो,
हमारी विवेकशीलता पर बहुत सी बातें बनती व बिगड़ती है,
हमें वार्तालाप करते समय यह बोध तो अवश्य होना ही चाहिये।
जीवन एक दिन में पूरा नहीं होता, हमें अपने दैनिक जीवन में वार्तालाप की महत्ता को समझना चाहिये, आप अपनी जगह कितने भी सही हो, अगर वार्तालाप का गुण आप में नहीं है तो समस्या और अधिक बढ सकती है, हम प्रतिदिन अपने दैनिक जीवन में बहुत-सी बातें सीखते भी हैं, कई बार हम वार्तालाप के महत्ता को अनदेखा कर देते हैं, हमें वार्तालाप करते समय
सामने वाले को भी सुनना होता है।
कई बार हमें आपसी वार्तालाप में बहुत ही सावधानी रखने की जरूरत होती है, जब हम वार्तालाप करते हैं, तब सुना भी जाना चाहिये वह बोल भी जाना चाहिये, कभी भी संवाद एक तरफा नहीं हो सकता, एक तरफा संवाद होने पर वह अपना अर्थ ही खो देगा, जो अपने वार्तालाप की महत्ता को सही तरीके से समझते
हैं, वह कभी भी अपने मूल से हटते नहीं है।
हम अपने जीवन में चाहे कितनी ही उपलब्धियां हासिल कर ले, मगर अगर हमारी वाणी सही नहीं है, तो वह वाणी हमारे सारे कार्य बिगाड़ भी सकती है, आपका वार्तालाप जितनी कुशलतापूर्वक होगा, उतना ही वह असर कारक भी होगा, हमें यह भी देखना होता है की जिससे हम वार्तालाप कर रहे हैं, हम उनके बराबरी के स्तर पर जाकर उनसे वार्तालाप करें, तभी कुछ सही
नतीजे की संभावना होती है, जीवन तो हम सभी जी ही रहे हैं , मगर अपनी गरिमा को जितना संभव हो सके, हमें बचाना चाहिये
विशेष:- गरिमा पूर्ण जीवन जीने के लिये हमें साधनों के साथ
व्यवहार कुशलता का ज्ञान होना भी आवश्यक है, गरिमा पूर्ण जीवन जीने के लिये हमें साधनों के अलावा कुछ अच्छे वह मजबूत रिश्ते भी चाहिये।
आपकाअपना
सुनील शर्मा
जय भारत
जय हिंद
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