आचरण

प्रिय पाठक वृंद,
   सागर प्रणाम,
आप सभी का प्रवाह की इस अद्भुत व मंगलमय यात्रा में स्वागत है। 
हम जीवन में जो भी आचरण कर रहे हैं, वह कभी ना कभी हमें प्रतिफल प्रदान करता ही है। प्रथम आचरण की शुद्धता पर
सर्वप्रथम ध्यान दें।
      संतुलित आचरण ही सर्वाधिक सही है, प्रतिक्रिया हर बात की होगी ही, यह तो इस सृष्टि का अटल नियम है। 
     अगर आपके आचरण में दृढ़ता है, सत्य पालन व नियम पर अगर आप दृढ़ है, तो वह आपकी रक्षा करता ही है।
   हमें हमेशा अपने व्यवहार का आत्मचिंतन अवश्य करना चाहिये, जो भी व्यक्ति अपने जीवन में अपने  प्रति कृतज्ञ नहीं है, वह मित्रता के लायक नहीं, मित्रता हमेशा सोच -समझकर करें।
        आपका वैचारिक तालमेल अगर है, तो ही मित्रता को जारी रखें, अन्यथा नहीं । मित्रता हमेशा उनसे करना चाहिये, जो आपसे हृदय से जुड़ा हो।
         श्रेष्ठ हृदय वाले व्यक्ति ही मैत्री के लायक होते हैं, जो अवसर आने पर आपका साथ निभायें ।
         मित्र केवल उन्हें ही जानिये , जो विपरीत परिस्थितियों होने के बाद भी आपका साथ दे। 
         आज गुरु पूर्णिमा का पावन अवसर भी है, दिन भी गुरुवार का है, उन सभी शिक्षकों को हृदय से प्रणाम, जिन्होंने शिक्षा दी 
वह व्यावहारिक पक्ष भी सिखाया।
       ईश्वर से भी बढ़कर गुरु होते हैं, जो हमें यह सीखाते हैं कि विपरीत स्थिति होने पर भी हमें अपने आचरण की गरिमा को नहीं खोना चाहिये।
     समय तो आता- जाता है, लेकिन मित्रता हमेशा स्थाई होती 
है। धीरज धर्म मित्र अरू नारी आपातकाल परिखेहू चारी।
     इन चारों की परीक्षा  आपत्तिकाल में होती है, इनमें धैर्य व धर्म तो दो निजी गुण है, तथा मित्र जीवन में हम चुनते हैं, मित्रता हमेशा देख- परख कर ही करें, जो आपके हितेषी है, अपनी धैर्यशीलता को कभी न त्यागे, धर्मपथ पर अडिग रहें, सच्चे मित्र मुश्किल से मिलते हैं, उन्हें न खोये।
      आपका स्वयं का आचरण भी मित्रता की कसौटी है, स्वयं हमेशा मित्र का हित  करे, तब वहां से भी पहल वैसी ही होगी।
      अगर आप धैर्यशील हैं, मित्र भी उसी अनुरूप रखें, जो आपका मिजाज से मेल रखते हो। 
     मित्र की कमजोरी अकेले में वह प्रशंसा सबके सामने करें, तो मित्रता सदैव बनी रहेगी। 
   आखिरकार हमारा स्वयं का आचरण ही इसकी मुख्य कसौटी है। अपने आचरण को शुद्ध रखें।
विशेष:- आप अपने व्यवहार में कितने कुशल हैं, चीजे वहीं से पलटती है, व्यवहार कुशल व्यक्ति से सभी की बनती हैं, किसी का नुकसान हो, ऐसा कार्य कभी न करें।
आपका अपना 
सुनील शर्मा 
जय भारत 
जय हिंद।
       

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