सत्य का बल

सुप्रभात, 
    प्रिय पाठक गण,
        सादर नमन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम, आज प्रवाह की इस यात्रा में हम
संवाद करेंगे। सत्य के बल पर, जो भी मनुष्य सत्य की शरण में
होता है, उसका सभी आदर करते हैं, फिर चाहे वह आपका घोर विरोधी ही क्यों न हो।
       अगर सत्य बल  को देखा जाये, तो यह सहस्त्र गुना शक्तिशाली आपको आंतरिक तौर पर बनाता है, सत्य को पराजित करने के लिये असत्य बार-बार अपने विभिन्न रूप बदलकर आक्रमण करता है, वह आपको विभिन्न प्रकार के मोह व लालच देता है, उसे समय पर आप अपनी आंतरिक इच्छा शक्ति द्वारा ही उससे बाहर आ सकते हैं, अन्य कोई भी उपाय इसके सिवाय है 
ही नहीं, जो भी मनुष्य प्रभु स्मरण करता है, वह नित्य निरंतर 
चेतला से युक्त होता है, वह सत्ता उसका बराबर रक्षण करती रहती है, जिनके मन मे बैर भाव व दुविधा होती है, वे अपने चित्त  की
मलिनता के कारण स्वयं ही अशांत चित होते हैं।
         और जो भी अशांति है, उसका मूल कारण हमारी वैचारिकता है, हम क्या सोच रहेहै? क्या कर रहे हैं? हमारे विचार व व्यवहार में अंतर ही आखिरकार हमारी अंतर्वेदना का कारण बनता है। 
        इस संपूर्ण विश्व में कोई भी ऐसी शक्ति नहीं, जोश परमपिता से बड़ी हो, जो नित्य उन्हें वंदन व प्रणाम करते हैं, अहो भाव से वंदना करते हैं।
       वह परमपिता परमेश्वर निश्चित ही परमभक्ति के आधीन है,
कल्याणकारी तत्व जो है, वह केवल प्रभु की अनन्य शरणागति ही 
 है।
      जो भी मनुष्य उस परमपिता की अन्य शरणागति में होते हैं, 
वह सभी प्रकार के मानसिक दोषों से धीरे-धीरे हटते जाते है,
उनकी कृपा व वरद- हस्त सदैव उस देह पर रहता है।
        संसार में अपने निश्चय पर अडिग रहने की जो मूल शक्ति है,
वह केवल उस परमपिता परमात्मा की शरण से ही मिलती है,
जीवन में कोई भी अन्य उपाय है ही नहीं। 
      अगर हम उसे सत्य की शरण है, तो निर्भय होकर अपनी बात को कह सकते हैं, अन्यथा हम भीतर ही भीतर अनावश्यक रूप से डरते रहेंगे। 
    उसे परमात्मा का स्मरण करके साहस पूर्वक जीवन में फैसले 
करिये, वह निश्चित ही आपके साथ है। 
    सावधानी पूर्वक संपूर्ण परिदृश्य का गहराई से अवलोकन करते रहे, फिर आप कभी भी किसी प्रकार के संकट में नहीं आयेंगे।
     सत्य का अनुसरण सदैव करिये, आज भी सहस्त्र सूर्यो की ऊर्जा  सत्यवान व्यक्ति में होती है, बगैर किसी से डरे निर्भयता पूर्वक अपनी बात को कहना ही उसे ईश्वर के निकट होना है।
     विशेष:- सत्य कहने से कभी न हटे , आखिरकार वह सत्य ही आपका रक्षण अवश्य करेगा, परिस्थितियों कितनी भी विपरीत ही क्यों ना हो, सत्य पर अडिग रहे, सत्य बल की ताकत बहुत बड़ी है,
जो व्यक्ति सदैव सत्य का अनुसरण करते हैं, वह आंतरिक रूप से
दृढ़ निश्चयी होते हैं, उन्हें कभी किसी प्रकार का छल नहीं करना पड़ता है।
आपका अपना 
सुनील शर्मा 
जय भारत 
जय हिंद

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