आत्मविश्वास की शक्ति

प्रिय पाठक गण,
     सागर नमन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम, आज प्रवाह की इस अद्भुत मंगलमय यात्रा में हम संवाद कर रहे हैं।
      आत्मविश्वास की शक्ति, यह जीवन निरंतर सीखने की यात्रा
है, और इस यात्रा को पूर्णता तक ले जाने के लिये आंतरिक दृढ़ता की आवश्यकता है, वह भीतरी शक्ति ही है, जो हमें जीवन के 
हर उतार-चढ़ाव मैं टिके रहने का सामर्थ्य प्रदान करती हैं। जब हम प्रयासों में निरंतरता रखते हैं, और हर दिन कुछ नया करने का
संकल्प करते हैं, तभी हमारे भीतर स्थिरता विकसित होती हैं,
वही स्थिरता धीरे-धीरे हमें आत्मबल प्रदान करती है। कोई कार्य अगर बारम्बार किया जाये, तो वह छोटा ही क्यों न हो, हम उसे कार्य को सहजता से कर पाते हैं, जब किसी भी कार्य को बारंबार करते हैं, तो उसमें हम पारंगत हो जाते हैं, तो यही अभ्यास भीतर एक भरोसे की भावना को जन्म देता है। वह भरोसा ही हमारे व्यक्तित्व की सशक्त नींव बनता है। जीवन में सफलता के साथ ही विफलता भी आवश्यक है, वह भी जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। हम हारने के बाद भी  प्रयास  करते हैं वह सही प्रयास हमें और मजबूत बनाते हैं, यही अनवरत चलने की प्रवृत्ति हमें एक विशिष्ट आभा प्रदान करती है। आत्म शक्ति तब उत्पन्न होती है, जब हम स्वयं से संवाद करते हैं, जब हम स्वयं को समझने का प्रयत्न करते हैं, स्वयं से की गई बातें, सच्चे प्रश्न व उनके उत्तर हमें भीतर से निखारते हैं।
      सीखने में समय भी लगता है, पर निरंतरता जारी रहने पर ,
धैर्य उत्साह से ही कोई भीतर के संदेहो को समाप्त कर सकता है।      अपने मानसिक द्वंद्व  से जो व्यक्ति ऊपर उठ जाता है, वह फिर आगे ही बढ़ता है, वही वास्तव में मजबूत बनता है। 
      ईश्वर ने हम सभी को समान चेतना दी है, पर उसे जागृत करने के लिए अभ्यास, संकल्प व सकारात्मक दृष्टिकोण आवश्यक है। 
    जो व्यक्ति अपने प्रयास में ईमानदारी रखता है, उसके मन में सहजता से स्थिरता जन्म लेती है।
     वही स्थिरता समाज व स्वयं के समक्ष हमें दृढ़ बनाती है।

विशेष:- भीतरी मजबूती केवल आत्म चिंतन ,अभ्यास ,।धैर्य व सकारात्मक दृष्टिकोण से ही प्राप्त होती है। स्वयं को स्वीकार करना और स्वयं को सुधारने का निरंतर प्रयास ही हमें संपूर्ण बनाता है।
आपका अपना 
सुनील शर्मा 
जय भारत 
जय हिंद। 


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