सृष्टि चक्र

प्रिय पाठक गण,
     सादर वंदन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम, 
       सृष्टि- चक्र, हम इस सृष्टि चक्र को अगर ठीक से समझ सके 
तो हम कहीं पर भी फिर उसके सूक्ष्म स्वरूप को समझ गये, तो आगे से आगे हमें यह स्वयं बोध प्रदान करती जाती है, उसमें कुछ 
अनुभवों से, कुछ आसपास घटते हुए घटनाक्रमों से, हम वस्तु स्थिति का बेहतर आकलन कर पाते है, जिस बात को कोई अन्य समझ नहीं पाता, गहराई से जो भी आकलन करता है, वह इस को पूर्णरूप से समझ पाता है, अन्य कोई भी इसे समझने में पूर्ण समर्थ नहीं है, जो इसे सही तरीके से समझ जाते हैं, वह अपने सधे हुए कदमों से इन सब बातों से ऊपर उठ जाते हैं, वह समय - काल को समझते हुए , अपने स्वतंत्र कदमों का अनुसरण करते हुए, अपने भाग्य का निर्माण भी स्वयं ही करते हैं। 
             जो आज का युग है, वह त्वरित निर्णय का तो है, मगर साथ ही साहसपूर्ण फैसलों का भी है, कहीं पर सामंजस्यता की जरूरत होती है, कहीं पर बुद्धिमता की, कहीं पर स्पष्ट नजरिये की, जो भी व्यक्ति साहसी होता है, वह अपने कदम स्वयं ही चलता है, अन्य क्यों से कोई आवश्यकता ही नहीं होती है।
        नेतृत्व करने के लिए सबसे पहले गुण साहस का है, जो खतरा दिखते हुए भी उसे पार करने का साहस दिखाता है, तो वह प्रकृति भी उसके साथ खड़ी हो जाती है। 
      कहीं फैसले जीवन में पूर्ण गोपनीय भी होते हैं, समय आने पर ही उनका खुलासा किया जाता है, आज जब सभी और भ्रष्टाचार चरम पर है, पैसों की बात सर्वत्र, धन बल पर जब सब कानूनो को बदला जा रहा है, तब हमें किस समय क्या कदम उठाना उचित है? वह हमें स्वविवेक से ही व्यक्ति उठाना पड़ता है।
       आज के समय में राजनीतिक चातुर्य का होना पहली आवश्यकता है, कई बार समाज हित में कड़े फैसले भी करना 
होते हैं, कुछ फैसले ऐसे भी करना पड़ते हैं, जो  सभी को स्वीकार्य नहीं होते , केवल कहने मात्र से नहीं, उसे पर अमल करने से ही स्थिति में बदलाव आता है। 
       इस सृष्टि- चक्र की सबसे अनूठी बात यह है, यह अपने को दोहराता है। यह अपने मूल विधान पर  ही कार्य करता है, आप चाहे कितना ही प्रयत्न कर ले, इसका सिद्धांत अटल है, वह कभी टलता ही नहीं , यह अपनी मूल अवधारणा पर कार्य करता है। 
     सृष्टि- चक्र  नियमों पर कार्य करता है, इसके अपने नियम होते हैं, बस, उसे स्पष्ट तरीके से समझने की आवश्यकता है।
      कौन हमारे साथ है? कौन नहीं? वर्तमान समय में इसका बोध होना अति आवश्यक है, समय -काल निकल जाने पर इसकी कोई महत्ता नहीं है।
     समय पर कदम उठाना वह उसे पर दृढ़ इच्छा शक्ति से कार्य करना अति -आवश्यक है। चीजों को पारदर्शी तरीके से समझे, तभी हम कामयाब हो सकते हैं, जो भी लक्ष्य हो, उसकी प्राप्ति में अपनी  संपूर्ण ऊर्जा से कार्य करें। 
 विशेष:- हमेशा अपनी दृष्टि खुली रखें, वह अपना दृष्टिकोण भी पूर्ण स्पष्टता के साथ सामने रखें, स्वयं के हित को भी समझे, वह सामाजिक हित को भी समझे, समय अनुकूल रणनीति पर कार्य अवश्य करें, लक्ष्य की प्राप्ति में फिर कोई भी बाधा नहीं आती।

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