सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
आप और हम सभी इस ब्रह्मांड या यूनिवर्स का एक बहुत ही छोटा अंश है, पर क्या हम इस तथ्य को समझते हैं, कि यह पूरा अस्तित्व या ब्रह्मांड अपने ही स्वनिर्मित या कोई स्वचालित नियम
पर कार्य कर रहा है।
कोई भी कार्य नियमबद्ध ही हो सकता है, इतनी विराट सृष्टि
बगैर नियम के चल ही नहीं सकती, इसके कुछ शाश्वत नियम अवश्य है, जो किसी भी समय ,काल व परिधि में नहीं, वरन यह एक स्वस्फूर्त व्यवस्था है।
यह केवल अपने ही नियम पर कार्य करती है, चाहे आप इस नियम को माने अथवा नहीं, यह सिद्धांत सत्य है, आप जैसा भी बर्ताव इस अस्तित्व के साथ करतेहै, वह केवल उसी का फल आपको प्रदान कर रहा है, अगर आपने इस अस्तित्व के विरुद्ध कोई कृत्य किया है, तो वह एक दिन परिवर्तित होकर आप तक अवश्य ही आयेगा, हो सकता है, किसी एक क्षण में आप अपने हित लाभ के लिएअपने आप से ही असत्य कहे, मगर अस्तित्व जो है, वह आपके विचार या किसी भी प्रकार की ऐसी बात, जो इसके मूलभूत सिद्धांतों के विपरीत हो, अस्तित्व सहन नहीं करता, देर सबेर ही सही, वह अपना कार्य करता ही है।
अगर आप दया भाव से पूरित है, तो यह सृष्टि चक्र भी आपकी इसी बात का प्रति उत्तर आपको देगा, आप इसके इस नियम को समझिये, जैसे ही आप इस नियम को गहराई पूर्वक समझेंगे, आश्चर्य से भर जायेंगे।
आपको बस अपने जीवन में उस अस्तित्व के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से प्रस्तुत रहना है, बाकी सारा कार्य वह ब्रह्मांड ही कर देगा, यह सृष्टि चक्र आपके लिए मेरे लिए ,सभी के लिए कार्य कर रहा है।
हम सृष्टि चक्र के इस नियम में अवरोध न बने, वरन सहयोग व
समन्वय स्थापित करें ।फिर वह अपने आप ही घटना घटती है, उसे घटाने की आवश्यकता नहीं पड़ती, वह अपने आप ही घट जाता है।
विशेष:- इस सृष्टि चक्र का भी अपना एक सिद्धांत है, यह केवल उसी पर कार्य कर रही है, इसके मूलभूत सिद्धांत को सही ढंग से समझे , फिर आप देखेंगे कि आपके जीवन में जो भी अवरोध थे,
वे स्वयं ही चले जायेंगे।
आपकाअपना
सुनील शर्मा
जयभारत
जय हिंद
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