शिव -शक्ति

प्रिय पाठक गण,
     सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम, 
 शिवजी का ही श्रावण मास चल रहा है, वह सहज ही प्रसन्न होने वाले, अनन्य कृपा को करने वाले महादेव हैं, जो परम शक्ति यानी मां पार्वती के साथ अर्धनारीश्वर रूप में विराजमान है। 
        शिव यानी सभी का कल्याण करने वाले, वह अपने शत्रुओं पर भी दया करने वाले हैं, उनकी कृपा तो इस संपूर्ण जीव- जगत पर है, सामान्य रूप से देखने में शिव भोलेनाथ तो है, पर वे सामाजिक मर्यादाओं के रक्षक भी है, जो भी उनकी मंगलमय कृपा शरण को प्राप्त कर लेता है, वह फिर किसी अन्य की शरण नहीं लेता। 
        वे महादेव स्वयं ही प्रेरणा प्रदान करने वाले हैं, जो सदैव प्रसन्न चित्औत र राम नाम का उच्चारण करने वाले हैं, वे प्रथम राम भक्त हैं, साथ ही सामाजिक मर्यादाओं के रक्षक भी। 
        शिव शक्ति का संयुक्त रूप अर्धनारीश्वर है, तथा तत्व रूप से भी देखा जाये तो नरम नई इन दोनों की संयुक्तता से ही फिर आगे संतति का जन्म होता है, वे शिव -शंभू , महाकाल सदैव अपने भक्तों का कल्याण करते हैं।
       उनकी कृपा सदैव ही भक्तों पर रहती है, शिव वह शक्ति दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं, यह अविभाज्य है, इन्हें विभाजित करके नहीं देखा जा सकता, जो भी इन्हें विभाजित करके देखता है, वह फिर सही नहीं देख पा रहा है। 
        यह शक्ति तो संयुक्त ही है, वह अंतर्मन को जानने वाले देव हैं, उनकी दया के, कृपा के सभी पात्र हैं, वे मात्र पत्र व पुष्प से प्रसन्न हो जाते हैं। 
         ऐसे कालों के भी काल, महाकाल के चरणों में परम भाव से नमन, उनके श्री चरणों में कोटि कोटि नमन। 
     मां पार्वती व शिवजी अर्धनारीश्वर रूप में एक ही देह में, एकाकार  है, उनकी इस संयुक्त शक्ति को परम हृदय से प्रणाम, वे सबके हित का चिंतन करने वाले हैं। 
        हमारे धर्मग्रंथ इस परम रहस्य को उद्घाटित करते हैं, राम रावण युद्ध के दौरान भी जब राम जी और रावण का युद्ध चल रहा था, मेघनाथ ने एक यज्ञ शक्ति प्राप्ति हेतु शुरू किया था, मेघनाथ की पत्नी सुलोचना धर्म परायण थी , उसकी ही शक्ति के कारण मेघनाथ में इतनी शक्ति थी, मेघनाथ युद्ध के बीच में अगर वह युद्ध पूर्ण कर लेता तो वह और अधिक शक्तिशाली हो जाता, इसलिए हनुमान जी उसका यज्ञ विध्वंस कर देते हैं, वे उसे अपने आसन पर से उठने को मजबूर कर देते हैं।
       वे सृष्टि के कल्याण हेतु हलाहल विष भी सहज भाव से पा न कर लेते हैं, मगर जब भी कोई सृष्टि विरुद्ध शक्ति, जो सृष्टि का संतुलन बिगाड़ती है, तो वह उसका संहार अपने रौद्र रूप द्वारा करते हैं।
       जहां भी शिवजी की कल्याणकारी दृष्टि वह मां पार्वती की शक्ति का समन्वय  होता है, भोलेबबा के अर्धनारीश्वर रूप को मंगल प्रणाम, शिव शक्ति का अर्धनारीश्वर रूप कल्याण को करने । वाला है।
   विशेष:- जहां पर शिवजी की कल्याणकारी दृष्टि व मां पार्वती की शक्ति का संयुक्ती करण होता है, वहां पर फिर सदैव मंगल होता है।  हमें भी चाहिए कि हम शिव दृष्टि से वह मां की शक्ति से 
समाज हित व सामाजिक सद्भावना को प्रथम स्थान प्रदान करें। 
आपकाअपना 
सुनीलशर्मा 
जयभारत 
जय हिंद।

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