अविनाशी सत्ता

प्रिय पाठक गण,
        सादर नमन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम, 
   आज प्रवाह में हम संवाद करेंगे, अविनाशी सत्ता पर, यानी जिसका कभी भी विनाश नहीं होता है।
      प्रिय बंधुओ, उसे एक ही परम सत्ता के हम सभी अंश हैं, 
वह उसकी ही झलक हम सब में है, वह अपने विभिन्न रुपों में
हम सभी में विराजमान है, यहां तक की जड़ चेतन यह सारा ब्रह्मांड उसकीअविनाशी सत्ता का ही परिचय देता है, व्यक्तित्व आते हैं, चले जाते हैं, प्रकृति उनको जो भी कार्य सौपती है, वह अपनी संपूर्ण ऊर्जा से उसका निर्वाह करते जाते हैं। 
       यह पृथ्वी ऐसे महापुरुषों व व्यक्तित्व को समय-समय पर जन्म देती है, ऐसी दिव्य विभूतियां इस देश में सदा से विद्यमान रही है, अभी भी विद्यमान है, वह भविष्य में भी ऐसी दिव्य विभूतियों का जन्म इस धरा पर होता रहेगा। 
     भारत भूमि वह भूमि है, जहां मनुष्य अपने जन्म से ही उसका स्पर्श पा लेता है, यहां की धरा में ,माटी में कुछ ऐसा है, जो विलक्षण है, जो यहां की माटी में है वह कही और नहीं है।
     यह दिव्य चेतना को जागृत करने वाली भारत भूमि है, इसकी दिव्यता को हम तभी महसूस कर पायेंगे, जब हम इस माटी से गहरे जुड़ेंगे।
      हम सभी जन्म मरण के चक्र से गुजरते हैं, मगर जन्म व मरण के बीच का जो समय है, वह अत्यंत अनमोल है, आप उस समय- चक्र को किस प्रकार व्यतीत करते हैं।
    उसे अविनाशी परमात्मा की कृपा को कितना अपने जीवन में अनुभूत कर पाते हैं, उतना ही जीवन आपका आंतरिक शांति से
भर उठेगा, जब तक हम अपने जीवन को करते हुए कर्तव्य- कर्म जो भी हमारा है, उसे पथ को स्वीकार कर उस पथ पर निर्विकार हृदय से हम कार्य करते हैं, तो बाकी सारा कार्य अविनाशी सत्ता ही कर रही है, जो हमें दृश्य रूप में तो नहीं दिखती, मगर अदृश्य में वही सारा संचालित कर रही है।
       जीवन का जो आनंद है, वह अपने कर्तव्यों को पूर्ण श्रद्धापूर्वक करने में ही निहित है, जब हम पूर्ण समर्पण से अपने कर्तव्य को निभाते हैं, तो शेष कार्य वह परम सत्ता स्वयं ही पूर्ण कर देती है।
       हम सभी इस सत्ता के छोटे से अंश है, वह परम सत्ता सभी को समान ऊर्जा प्रदान करती है, कोई भेद वह नहीं करती, दृष्टि भेद तो हम करते हैं।
     वह अविनाशी इस प्रकार से है, जन्म और मृत्यु जो हो रही है, 
वह हमारे इस देह की होती है, इसके अंदर जो चेतन सत्ता है, वह कभी भी नष्ट नहीं होती, वह केवल रूपांतरित होती है। 
     हमारा जो शरीर है, वह मृत ही है, अगर उसमें ईश्वर की दी हुई ऊर्जा नहीं हो, जब इस देह से वह ऊर्जा प्रयाण कर जाती है, तो यह देह भी किसी कार्य की नहीं होती, यह शरीर उसे ऊर्जा के बिना निष्प्राण हो जाता है।
    फिर भी चेतन सत्ता तो सूक्ष्म है, व्यक्ति के देहात त्यागने के बाद भी जो सूक्ष्म ऊर्जा कार्य कर रही है, वह  है उसकी मूल ऊर्जा, जो वह अपने जीवन चक्र में जीवन को जीते हुए बनाकर गया है। 
      एक अच्छे व्यक्ति की ऊर्जा उसकी मृत्यु उपरांत भी कार्य करती है, हम किसी सद्गुण वाले  व्यक्तित्व  के अगर संपर्क में रहे हैं  , तो उनकी मृत्यु उपरांत भी हमें वह अपनी ऊर्जा शक्ति का बोध कराते हैं।
     यही उस अविनाशी की परम सत्ता का सत्य है, जो तीनों कालों में सत्य हैं।
विशेष:- आप चाहे ना चाहे, माने या न माने, वह अविनाशी सत्ता ही इस पूरे ब्रह्मांड  का संचालन कर रही है। उसकी कृपा दृष्टि से ही सब संभव होता है, अन्य कोई मार्ग है ही नहीं।
आपका अपना 
सुनील शर्मा 
जय भारत 
जय हिंद


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