सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
हम सभी में गुण -अवगुण होते ही हैं, मगर हमें अपने गुणों पर कार्य करना चाहिए, अच्छे गुणों को अगर हम स्थान देंगे तो वह शक्तिशाली होंगे, अवगुण स्वयं ही नष्ट हो जाएंगे।
सराहना, किसी भी व्यक्ति को हम चाहे पहले ही बार मिले हो, मुस्कुरा कर उसका स्वागत करें।
एक मुस्कुराहट आपकी मित्रता में अभिवृद्धि करती है,
खुशनुमा रहे, विपरीत परिस्थितियों में और अधिक जिंदा दिल बने, एक आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक बने, सदैव सभी से मुस्कुरा कर ही मिलें।
आपकी सकारात्मक सोच सामने जो भी है, उनमें भी सकारात्मक का संचार करेंगी।
अपना सर्वश्रेष्ठ विचार सामने लायें, उसे पर पूर्ण आत्मविश्वास से कार्य करें।
जो भी आपसे जुड़े, उसकी सराहना आप करें, पर वह झूठी सराहना ना हो, उसके किसी विशिष्ट गुण की जो उसमें वास्तव में विद्यमान है, उसकी सराहना अवश्य करें। फिर देखिए, आप जहां भी जाएंगे, आपके सकारात्मक दृष्टिकोण के कारण बदलाव होने लगेगा।
आप स्वयं सकारात्मक रहे, सकारात्मक सोचें, किसी भी प्रकार की हीनता स्वयं में ना आने दे, आत्मविश्वासी रहे, अपने आचरण में दृढ़ता रखें, अनावश्यक सलाह किसी की न सुने न दे।
हर व्यक्ति विशेष में कुछ न कुछ मौलिक गुण प्रकृति ने दिया है, वह जो उसका मौलिक गुण है, वही उसकी ताकत है, जैसे कोई व्यक्ति मिलनसार है, तो उसे व्यक्ति की मिलन सारिता उसका व्यक्तिगत गुणधर्म है, उसे ईश्वर ने इतना सुंदर, अद्भुत गुण दिया है, उसे कभी भी ना के त्यागे, वह आपकी मूल ताकत है।
इसी प्रकार सभी व्यक्तियों में कोई न कोई मौलिक गुण अवश्य ही होता है, हमें किसी के दोषो पर नजर न रख कर
गुणो पर अधिक नजर रखना चाहिए, नहीं तो सामने वाले के दोष उससे भी अधिक आपका नुकसान कर सकते हैं, वह तो कुछ समय के लिए ही दोष के साथ है, आप उसके दोषो को अपने भीतर पहुंचा रहे हैं, अत्यधिक आलोचना से बचे ।
अपने परदोष चिंतन से स्वयं को भी कुंठित कर लिया है, सदैव प्रसन्न चित्त रहे, परमात्मा का सुमिरन करें, उसे भी सराहे,
कितनी सुंदर दुनिया बनाई है, झरने , तालाब, वृक्ष , पहाड़, आकर्षक फुल व विभिन्न फल, औषधि, ऐसी तमाम चीज कुदरत ने हमे उपहार में दी है, जो चहचाहते पक्षी, खिल खिलाते बच्चे, सहजता से जीने वाले साधारण मनुष्य, सारी सृष्टि ही सुंदर है,
बस हम अपनी दृष्टि को बदलते जाएं , सभी की सराहना करें,
सराहना करना एक ऐसा प्रयोग है, जो आपको लोगों के हृदय के करीब लाता है।
जीवन में सराहना अवश्य करें, बेवजह किसी की भी आलोचना न करें, एक संतुलित व्यवहार को जीवन में स्थान दें।
हमारे आसपास के जो भी व्यक्ति हैं, उन्हें धन्यवाद दे, सहयोग के लिए, दिल से धन्यवाद दें ।
जब हम किसी भी व्यक्ति की सराहना करते हैं, तो उससे उसका आत्म बल बढ़ता है, अपना स्वयं का आत्म बल व दूसरों का आत्म बल बढ़ाएं।
यही जीवन को सुखद बनाने की, भविष्य को संवारने की अद्भुत कला है, लोगों की आलोचना के साथ सराहना करना भी सीखिए।
विशेष:- हमें अपने आसपास के लोगों में जो विशिष्ट गुण है, उसकी सराहना अवश्य करना चाहिए , और उन्हें उसके उस विशिष्ट गुण पर कार्य करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत
जय हिंद
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