विजयादशमी पर्व

प्रिय पाठक गण,
सादर नमन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम, 
आज विजयदशमी का पावन पर्व है, इस पर्व का ऐतिहासिक महत्व इस बात में है, कि इसी दिन प्रभु श्री राम ने दशानन यानी रावण पर विजय प्राप्त की थी, इस प्रकार अगर हम देखें, तो यह पर्व अधर्म पर धर्म की जीत का महत्व भी बताता है, अगर हम अपने जीवन में सत्य का आचरण करें, तो वह ईश्वर सदैव हमारे साथ ही होगा, मगर हम केवल कहने मात्र से नहीं, जितना अधिक मात्रा में हमसे हो सके, उतना सत्य का आचरण अगर हम करते है, तो परमात्मा की शक्ति सदैव हमारे साथ होगी, सत्य कहने वाला व्यक्ति भले ही अकेला भी हो, मगर उसके सत्य आचरण की शक्ति बहुत अधिक होती है, हमें परमपिता परमेश्वर से नित्य प्रार्थना करनी चाहिये, वह हमें सत्य मार्ग पर अडिग रखें, हमारी सोच सदैव सकारात्मक हो, कितनी भी  विपरीत परिस्थितियों हमारे सामने हो, मगर सत्य मार्ग का अवलंबन हम कभी न छोड़े, अंततः वह सत्य का मार्ग हमारी राह प्रशस्त करेगा व जीवन में आने वाली किसी भी प्रकार की कठिनाई से हमें लड़ने का साहस प्रदान करेगा, हमारा जीवन जब तक है, विभिन्न प्रकार के संघर्ष हमारे जीवन में अनिवार्यतः आते ही है, हम अपने संकल्प पर दृढ़ रहे,
और परमपिता परमेश्वर से अपने संकल्प पर दृढ़ रहने का नित्य निरंतर आशीर्वाद लेते रहे, 
उसकी कृपा  निरंतर प्राप्त करें, संकल्प बली होने से हमारे व्यक्तित्व में भी निखार आता है, 
कोशिश करें हम जो भी कहे ,सत्य कहें उसका अनुसरण भी करें, क्योंकि सत्य का अनुसरण करने वाले व्यक्ति की ख्याति भी नित्य प्रति बढ़ती जाती है, जो अपने संपूर्ण जीवन को 
उस परमपिता परमेश्वर की शरण में रहकर जीता है, उनकी नित्य अनुकंपा को सदैव याद करता है, उसका वर्तमान में भी क्षरण नहीं होता, युगों युगों तक उसके आचरण के हम गीत गाते हैं, हम सभी का जन्म ईश्वरीय कृपा की देन हैं, मानव जीवन अनेक योनियों के बाद हमें प्राप्त होता है, इस अमूल्य मानव जीवन को हम सकारात्मक भाव से जिये,
हमारी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका स्वयं व अपने परिवार के प्रति होती है, राष्ट्र व विश्व भी उसके बाद ही आते हैं, सबसे पहले स्वयं का सुधार, 
फिर परिवार का सुधार, फिर गली, मोहल्ले राष्ट्र व विश्व, इस प्रकार क्रमशः हम अपने जीवन को नित्य अगले पायदान पर चलाते जाये, विषम से विषम परिस्थिति भी अगर आप संकल्प के धनी है, तो विपरीत परिस्थितियों में भी आप विजयी होंगे, अपने सत्य धर्म को कभी न त्यागे, क्योंकि सत्य आचरण से बड़ा कोई शुद्ध नियम है ही नहीं,
जो भी व्यक्ति सत्य का अनुसरण करता है, 
उसकी भले लोग लाख बुराई भी करें, मगर वे भी जानते हैं, की सत्य हमें कहां से प्राप्त होगा, हां ,मगर सत्य का अनुसरण करते समय हमारा भाव किस प्रकार का है, उसका हेतु क्या है, वह भी एक महत्वपूर्ण व विचारणीय विषय है, अगर हमारे सत्य से समाज का हित होता है, तो वह सत्य निश्चित  ही अनुकरणीय है, आप सभी को विजयादशमी पर्व की अनंत हार्दिक शुभकामनाएं, परमपिता परमेश्वर सभी के जीवन में मांगल्य लाये।
इन्हीं शुभ  व सुंदर भावो के साथ पुनः आप सभी को विजयादशमी पर्व की अनंत हार्दिक शुभकामनाएं।
आपका अपना, 
सुनील शर्मा, 
जय भारत 
जय हिंद, 
वंदे मातरम।



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