प्रतिफल

प्रिय पाठक गण,
     सादर नमन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम,
    हम सभी कोई न कोई कर्म निरंतर कर ही रहे हैं, वह कर्म हम जो भी कर रहे हैं, निश्चित ही परिणाम तो देगा ही, चाहे हम उसे आज प्रतिफल के रूप में पाये या कल।
         जो भी कर्म हम करते हैं, वह कर्म किस प्रकार से अपना कार्य करता है, यह अगर हमें समझना है, तो हमें कुछ मौलिक सिद्धांतों को समझना होगा, यहां पर जो भी कुछ घट रहा है, वह अकारण नहीं घट रहा है, उसके बीज तो पहले ही पड़ चुके हैं, वह वहीं अब हमें एक प्रतिफल के रूप में अब जाकर प्राप्त हो रहा है। 
       हम अपने संपूर्ण जीवन में किस प्रकार अपना कार्य या कर्म करते हैं, उसी के प्रतिफल हमें अपने जीवन में प्राप्त होते हैं।
       इस प्रकार गहराई से अगर हम आकलन करें तो हमें यही ज्ञात होगा। यह हमारे जीवन में घटनाक्रम जो भी घट रहे हैं, उन सभी को अगर हम क्रमबद्ध रूप से देखें तो हम सही में वही सब प्रतिफल में पा रहे हैं, जो हमने अपने संपूर्ण जीवन काल में पूर्ण ईमानदारीस जिया है, वही कार्य हमें यश भी प्रदान करते हैं।
      कोई भी कर्म हम करें, उसका कोई न कोई कारण या हेतु अवश्य होता है, जिस किसी भी कार्य का जो हेतु है, वही सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, सबसे अहम होता है। 
      इसको हम इस प्रकार समझे कि शिक्षा का मूल हेतु या उद्देश्य क्या है ?
     अगर शिक्षा का  उद्देश्य अगर मात्र पैसा कमाने की योग्यता ही रह जाये, तो यह समाज के लिए अच्छा नहीं है। 
      इसका स्पष्ट कारण यह है कि हम सभी से मिलकर ही यह समाज बनता है, तो समाज के प्रति हमारा क्या दायित्व है?  क्या कर्तव्य है? 
     इसका बोध जब तक हमारी शिक्षा नहीं प्रदान करती, तब तक समझ में जो सकारात्मक बदलाव की हम उम्मीद करते हैं, 
वह नहीं हो सकता।
      इसके लिए केवल सरकार के प्रयास ही, , काफी नहीं, समाज में प्रबुद्ध वर्ग को भी इस और सचेत होना होगा, सामाजिक दायित्व बोध   अगर विकसित नहीं होता , तो यह समाज के लिए बड़ी ही अपूरणीय क्षति होगी।
      प्रतिफल सही कर्म का सदैव ही अच्छा होता है, निरंतर द्वारा ही यह संभव है, अन्य किसी भी उपाय से यह संभव नहीं ।
    किसी भी कार्य को जब हम नियम पूर्वक करते हैं, तो उसके परिणाम हमेशा अच्छे ही प्राप्त होंगे।
      जो भी अच्छे नियम है, जैसे सूर्योदय से पूर्व उठना, समय पर सोना, यह सब अगर आप नियम पूर्वक कर रहे हैं तो परिणाम आपका स्वास्थ्य अच्छा होगा, समय की बचत होगी, जल्दी सुबह उठने से हम अपने सभी कार्य को समय  से कर पाते हैं।
       मेरे कहने का तात्पर्य  यह है, की अच्छी सोच व नियम लगातार जारी रहने पर अच्छा प्रतिफल ही देंगे।
      अच्छे आचरण की निरंतर अगर हम जारी रखते हैं, तब परिणाम भी शुभ ही प्राप्त होंगे। 

विशेष:- किसी भी परिस्थिति में अपने अच्छे नियम व आचरण को हम ना त्यागे, प्रतिफल सदैव अच्छा ही प्राप्त होगा। 
 आपका अपना 
सुनील शर्मा 
जय हिंद, 
वंदे मातरम। 



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