सादर नमन,
आप सभी का दिन मंगलमय हो, विगत 2 से 3 दिन पूर्व की स्थानीय घटना, जो की इंदौर की है।
यहां एक घटनाक्रम में निगम कर्मियों द्वारा एक अभियान चलाया जा रहा था, जो की संपत्ति कर की वसूली से संबंधित था।
इंदौर की राजनीति यहां के मुखर राजनेताओं का एक नया नेतृत्व तैयार कर रही है, कतिपय तत्वों को राजनेताओं की मुखरता रास नहीं आती है, जबकि राजनेताओं को, चाहे वह किसी भी दल के प्रतिनिधि क्यों ना हो? वे जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधि होते हैं, इसलिए उनकी बात अवश्य ही सुनी जानी चाहिये, साथ ही निगम कर्मियों को भी चाहिये वह अपनी अभद्र भाषा पर लगाम लगाये, यह हमारे इंदौर शहर की परंपरा नहीं है, मामला चाहे जो भी हो, पर स्वस्थ संवाद ही इसका समाधान है।
निगम कर्मियों व राजनेता के बीच जो टकराव उत्पन्न हुआ, बहुत बेहद दुखद है, इसकी कड़ी शब्दों में निंदा की जाना चाहिये,
इसका मुख्य कारण यह है, राजनेता किसी भी दल से हो, आखिरकार वे जनता द्वारा चुने गये
प्रतिनिधि होते हैं, उनकी बात को निश्चित ही सुना जाना चाहिये, एक प्रबुद्ध नागरिक होने के नाते हमारी भी यह जवाबदारी बनती है,
इस प्रकार के घटनाक्रम पर हम मुखर होकर बोले।
संवाद ही इसका एकमात्र हल होना चाहिये, निगम कर्मियों, राजनेताओं से निवेदन है, इससे हमारे इंदौर शहर की स्वस्थ परंपरा को भी ठेस पहुंचती है, हमारा इंदौर शहर राजनीतिक नेतृत्व की इच्छा शक्ति, निगम कर्मियों और जनता के सहयोग से ही स्वच्छता में पहले पायदान पर बना रहा है, इस बात का उल्लेख में इसलिए कर रहा हूं, इंदौर शहर चेतना के तौर पर एक जीवंत शहर है,
मां अहिल्या की पावन नगरी इंदौर,
यहां के राजनेता व नागरिक, दोनों ही जागरुक है, व शहर हित में हमेशा सजग रहते हैं।
इस घटनाक्रम में गलती किसकी है, यह तो पूर्ण तहकीकात का विषय है, मगर यह घटनाक्रम हमारे शहर के मिजाज से मेल नहीं खाता, यहां हमेशा समन्वय की परंपरा रही है।
राजनेताओं पर दुर्भावना पूर्ण अभद्र व्यवहार की निंदा समवेत स्वर में की जानी चाहिये, तभी हम एक स्वस्थ राजनीतिक नेतृत्व को जन्म दे सकते हैं, पक्ष या विपक्ष की इसमें कोई बात नहीं, जनता द्वारा चुने प्रतिनिधियों से ही जब इस प्रकार से व्यवहार किया जा रहा है , तब इंदौर के रहवासियों का भी फर्ज है, वह राजनेताओं के साथ खड़ा हो,
अन्यथा कल से कौन व्यक्ति राजनीति में आना चाहेगा, वह अपने परिवार को छोड़कर
दिन रात समाज की उन्नति के बारे में सोचता है, कार्य करता है, अपने परिवार को क्षति पहुंचा कर कौन व्यक्ति फिर राजनीति में आयेगा।
मुझे पूर्ण विश्वास है, इस सारे मामले में जन प्रतिनिधि , जनता व निगम कर्मियों के बीच स्वस्थ संवाद द्वारा इसका हल निकाला जाना चाहिये, किसी भी कदम को उठाने से पहले तीनों ही पक्षों के बीच में एक समन्वय बने, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति ना हो, इस सारे घटनाक्रम में जनता भी एक पक्ष है, क्योंकि वह भी जब किसी राजनेता को चुनती है, तो वह उसकी सक्रियता के कारण ही चुनती है, जब जनता ने उन्हें अपना वोट देकर सशक्त बनाया है, तो निगम कर्मियों का भी यह दायित्व बनता है, राजनीतिक नेतृत्व व जनता दोनों ही पक्षों कोअनदेखा न करें।
तीनों ही पक्ष मिल-बैठकर इसे सुलझाये,
यही हमारे इंदौर शहर की गरिमा के अनुरूप
भी होगा।
निष्पक्ष नजरिये से सभी पक्षों को बैठकर इस मामले को सुलझाना चाहिये,
एक जागरूक व प्रबुद्ध नागरिक होने के नाते मैंने यह प्रतिक्रिया दी है, अगर मेरी भाषा
से किसी को कोई ठेस पहुंची हो, तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी भी हूं, पर पुनः निवेदन है, मां अहिल्या की पावन नगरी का यह मिजाज नहीं है। यहां संस्कृति व समन्वय की एक सशक्त विचारधारा है, जो कायम रहना चाहिये।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत
जय हिंद
वंदे मातरम।
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