सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
प्रवाह की इस मंगलमय व अद्भुत यात्रा में आप सभी का स्वागत है।आज हम बात करेंगे उम्मीद व वास्तविकता में क्या अंतर है?
कोई भी इंसान में अगर कल कुछ बेहतर होगा, इसकी उम्मीद कायम है, तो वह जीवन में कभी भी निराश नहीं होंगा, अगर उम्मीदे कायम है, तो वह उम्मीद के सहारे कुछ न कुछ
प्रयत्न अवश्य करेगा व कामयाब भी होगा।
अगर जीवन में उम्मीद ही न हो, तो मनुष्य फिर क्यों अपनी भाग -दौड़ करेगा, वह तो निष्क्रिय हो जायेगा ।
निष्क्रिय हो जाने पर तो वह कुछ भी नहीं पा सकेगा, पर उम्मीद के साथ-साथ आप वास्तविक धरातल पर हम क्या कर सकते है?
यह हमेशा देखें।
उम्मीद जीवन में आशा व उत्साह का संचार करती है, वह हमें अपने स्वप्नों पर खरा उतरने के लिए प्रेरित करती है, हमें अनिवार्य जीवनी शक्ति प्रदान करती है, जीवन संघर्ष में हमारी सहायक होती है।
भिन्न-भिन्न प्रकार की विचारधारा, भिन्न लोग, अलग-अलग परिस्थितियां, इन सबसे अगर हम रूबरू होते हैं, तो वह कौन सी शक्ति है? जो हमारे मनोबल को अत्यंत विपरीत समय में भी साहस प्रदान करती है।
तो वह उस परमपिता की कृपा ही है, जो हमारा मार्गदर्शन करती है, उनकी मंगल कृपा से हम परिस्थितियां विपरीत होने पर भी साहस करते हैं, वह फिर जो भी हमारा लक्ष्य
हो, उसे पाते है।
जीवन में हमें भौतिकता,आध्यात्मिकता,
व्यावहारिकता, मनोवैज्ञानिक पहलू, वास्तविकता में क्या हो रहा है? इन सब पर अपनी पैनी दृष्टि रखना चाहिये?
अंतर्मन में सदैव मंगल का भाव रखते हुए
वर्तमान परिस्थितियों को सही ढंग से समझते हुए हम प्रयास करते रहें, यही केवल हमारे हाथों में है।
निरंतर प्रयास जब हम किसी भी एक दिशा में करते हैं, तो हमें सफलता प्राप्त हो जाती है।
नित्य ,निरंतर उस परमात्मा का अवश्य सुमिरन करते रहे, वही हमें सब और से शक्ति व सामर्थ्य को प्रदान करने वाला है।
विपरीत समय में साहस देने वाला व अपनी शरण में रखने वाला है।
सभी को हृदय से प्रणाम करें, अपने भावों को नित्य शुद्ध करते रहें, समय से जो भी घटेगा, वह घटेगा ही, उसे हम रोक भी नहीं सकते।
पर्याप्त केवल इतना है, प्रयास करें, जो भी लक्ष्य आपने हाथों में लिया है, वास्तविकता में उसमें क्या हो सकता है?
क्या हम बेहतर कर सकते हैं? इस और हमारा निरंतर ध्यान हो।
उम्मीद कभी-कभी टूट भी जाती है, मगर निराश न हो, एक राह अगर बंद हो, तो दूसरी अवश्य ही खुलती है।
विनम्रता को हमेशा धारण करने का प्रयास करते रहे, अपने संकल्पों में दृढ़ निश्चयी रहे,
जो भी बाधाएं हैं, युक्ति युक्त तरीके से उनका सामना करें, सफलता आपकी राह देख रही है।
अपने लक्ष्य पर पूर्ण ध्यान व समर्पण ही
हमें उसे पूर्ण करने की सामर्थ्य प्रदान करता है।
समय -गति को समझ कर फैसले करते रहे, परमपिता की मंगल कृपा शरण रहकर चले, फिर कुछ विपरीत घटेगा ही नहीं,
विपरीतता भी अनुकूलता में परिवर्तित होने लगेगी।
नित्य- निरंतर समीक्षा करते रहे, अपने प्रयासों को गति दें , परमात्मा सदैव अपनी अनुकंपा हम सभी पर बरसा रहे हैं, उनके अभेद्य दृष्टि से कुछ भी नहीं छिपा है, वे ही तारणहार है।
लक्ष्य जो भी चुने, उसमें निरंतरता अवश्य बनाये रखें।
विशेष:- परिस्थितियों जीवन में हमेशा परिवर्तित होगी ही, कभी अनुकूल होंगी ,कभी प्रतिकूल होगी , कभी सहज होगी, कभी हम चाह कर भी उसे अनुकूल न कर सकेंगे।
मगर अपने प्रयासों की निरंतरता अवश्य बनाये रखें, वास्तविक परिस्थितियों अनुकूल हो या प्रतिकूल, उम्मीद कभी भी ना छोड़े, निरंतर प्रयासरत अवश्य रहे।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत,
जय हिंद,
वंदे मातरम।
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