सागर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
आज मेरा विषय है, उम्मीद से ऊर्जा,
अगर मनुष्य के जीवन में उम्मीद या कहे, आशा खत्म हो जाये, निराशा घर कर ले, तो फिर मनुष्य अपने किसी भी कर्म को आखिर
क्यों करेगा?
भले ही उसकी वह उम्मीदें पूरी हो ना हो, यह एक अलग बात है, मगर मनुष्य मात्र को अपने जीवन में आगे बढ़ने का हौसला उम्मीद प्रदान करती है, व्यक्ति अपनी आंतरिक ऊर्जा क अगर सही उपयोग कर सके, जो उसका यह जीवन है, वही पूर्ण सुखमय हो सकता है,
स्वर्ग नरक की सारी परिकल्पनाएं हमारे अपने मस्तिष्क की उपज है, यह हमें जीवन के वास्तविक लक्ष्यों से दूर करती है, हमें भ्रमित करती है।
स्वर्ग हमें इसी जीवन में प्राप्त है ही,
मगर हम स्वयं ही उसे अनदेखा किये हुए हैं।
अगर हमारे मन में आनंद व प्रफुल्लिता हर समय बनी रहती है, हम किसी भी परिस्थिति में हमारे भीतर की ऊर्जा को नष्ट नहीं होने देते, सदा ऊर्जावान रहकर अपने लक्ष्य की
और चलते रहते हैं, तो यह ब्रह्मांड स्वयं ही आपकी सहायता को तत्पर है।
आप आशावादी रहे, निरंतर सकारात्मक चिंतन को ही जीवन में स्थान दें, आप पायेंगे,
हर और से आपको सकारात्मक संदेश ही प्राप्त हो रहे हैं, आप प्रगति के नित्य नये सोपानों को छु पा रहे हैं, जब भी हम किसी बड़े कार्य को करने का मानस बनाते हैं, तो सर्वप्रथम हम अवचेतन में उसके बीज बो रहे होते हैं, अतः जब हम विचार को भी अपने भीतर प्रवेश दे, वह सकारात्मक विचार ही हो,
क्योंकि जो आप अपने भीतर बो रहे हैं, अंततः समय आने पर आपको उसकी ही फसल काटना है, विचारों को जब आप अपने भीतर स्थान दें, तो वह विचार, शुद्ध , पवित्र, आंतरिक ऊर्जा से युक्त होना चाहिये।
इसलिये अपने मन में कभी भी हीन विचारों को स्थान प्रदान न करें, पूर्ण आशावादी रहे, सकारात्मक प्रयत्न सदैव करते रहे, अपनी आंतरिक ऊर्जा शक्ति पर कभी भी संदेह न करें।
हम सभी इतनी अधिक सामर्थ्य अपने भीतर रखते हैं, जिसे शब्दों में बांधा नहीं जा सकता, सकारात्मक रहे, नित्य सुंदर भाव व
विचारों से आप परिपूर्ण रहे, अपनी आंतरिक सामर्थ्य को जगाये, आप अपने इसी जीवन में
चमत्कारिक परिणाम प्राप्त करने लगेंगे।
समय कभी भी बदलता नहीं, आपको अपने अवचेतन व स्वयं को बदलना होता है,
परिकल्पना हमेशा बड़े स्वप्नों की करें, क्योंकि जो भी निरंतर आपके भीतर चल रहा है, अंततः वह एक दिन घटेगा अवश्य, उसे घटने से कोई भी नहीं रोक सकता।
अच्छे स्वप्न देखें, जब आप विचार अच्छा आगे बढ़ने का, मन में प्रस्कफुटित करोगे,
तभी तो यह संपूर्ण ब्रह्मांड आपकी सहायता करेगा।
मन के भीतर जो भी विविध विचार है,
उनमें से श्रेष्ठतम विचार कौन सा है? उसे निरंतर दोहराये, कुछ दिनों में आप पायेंगे ,
आपकी पूरी दुनिया बदल रही है।
आंतरिक विचारों को शुद्ध व प्रेरणा पूर्ण बनाये , प्रसन्न चित्त रहे , अपना स्वयं का
अवलोकन करें, कहां पर चूक हुई, सुधारते रहे, यह ब्रह्मांड की शक्तियां आपकी सहायता करना चाहती है, पर आप उन शक्तियों से जुड़िये है तो सहीं।
आंतरिक ऊर्जा को बदले बगैर हम बाह्य ऊर्जा को सकारात्मक कैसे कर सकते हैं?
सबसे पहले अपने मानस पर कार्य करें,
उसे निर्देश दें, सब कुछ संभव है, इस प्रकार के सकारात्मक विचार निरंतर अपने भीतर प्रवाहित होने दे, एक दिन यह सकारात्मक ऊर्जा ही आपको शिखर पर पहुंचा देगी, परिकल्पना सदैव शुभ करे, जब आप शुभ की परिकल्पना करते हैं, तो भीतर एक विचार उत्पन्न कर रहे होते हैं, इसलिए सबसे पहले अपने आप को वैचारिक रूप से समृद्ध बनाये
ऐसा करते ही आप पायेंगे, यह ब्रह्मांड की शक्तियां तो सदैव आपके साथ ही थी।
आपके भीतर जो विचारों की श्रृंखला है,
उन्हें सदैव सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण
करते रहे, अंततः वही सकारात्मक ऊर्जा आपके लिए मार्ग प्रशस्त करेगी।
विशेष:- सर्वप्रथम जीवन में सदैव हर परिस्थिति में सकारात्मक रहे, परिकल्पना तो हम सकारात्मक कर ही सकते हैं, सदैव अच्छी व बेहतर परिकल्पना ही करें, क्योंकि जो आप अपने भीतर बो रहे होते हैं, आखिरकार फसल तो उसकी ही आप काटेंगे, इसलिये अच्छे व शुभ विचारों को स्थान दें, आप जो भी विचार कर रहे होते हैं, आकर्षित उसे ही करेंगे, निरंतर सकारात्मक रहे, प्रयास करते रहे , सफलता आपके कदम चूम रही है, यह भरोसा रखें।
आपका अपना
सुनील शर्मा
जय भारत
जय हिंद
वंदे मातरम्।
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