व्यवहार -कुशलता

प्रिय पाठक गण,
   सादर नमन,
   आप सभी को मंगल प्रणाम, 
     प्रवाह में हम आज बात करेंगे, व्यवहार- कुशलता पर, हम दैनिक जीवन में अपना कार्य करते हुए क्या किसी का धन्यवाद या
कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं?
     जो भी इस समाज से, सृष्टि से, हमें प्रेम,
स्नेह, आदर प्राप्त हुआ है, हम उसके पात्र तब तक ही है, जब तक हमारे व्यवहार में विनम्रता व शिष्टता दोनों ही है। हमारे अपने व्यवहार से हमारे व्यवहार का बोध होता है, अन्य का नहीं।
       इसीलिए कहीं व्यक्ति पद, प्रतिष्ठा पाकर
अपने व्यवहार को अगर मर्यादित नहीं रख पाते हैं, तो फिर उनका वह  अमर्यादित व्यवहार देर-सवेर उन्हें ही नुकसान पहुंचाएगा। 
        एक व्यवहार कुशल व्यक्तित्व के हम मालिक बने, इसके लिए हमें अपने भीतर कुछ गुणों को विकसित करना होगा।
      हास्य बोध , एक ऐसी कला है, जो सभी को पसंद आती है, हमें यह कला अगर मिली है, तो इसका सही दिशा में प्रयोग हमें करना चाहिये।
      मगर हास्य बोध इस प्रकार का हो, किसी को ठेस पहुंचाये बगैर हम अपनी बात हास-परिहास  में कैसे कहें, गंभीरता व हास्य बोध दोनों ही आवश्यक है, परंतु हर समय गंभीरता से हम एक बोझिल व्यक्तित्व के स्वामी बन 
जायेंगे। हास्य -रस का जीवन में प्रयोग हमारे व्यक्तित्व में एक विशिष्टता हमें प्रदान करता है। 
        शब्दों का चयन हमारा कैसा है? क्या हम अपने शब्दों से किसी को आहत तो नहीं कर रहे । अगर कोई हमसे आहत होता है, 
तो  हमें हमारे व्यवहार में सुधार करने की गुंजाइश है। 
       मिलनसार व हंसमुख व्यक्तित्व के मालिक किसी भी सभा में उर्जा उत्पन्न कर सकते हैं, हास्य किस प्रकार का हो, जिससे वातावरण में प्रफुल्लता फैले, हास्य जीवन में तनाव को भी काम करता है, हमारे शब्दों का चयन जितना अच्छा होगा, हमारी वाणी का प्रभाव उतना ही बढ़ेगा। 
     जब हम बातचीत करते हैं, तो एक सधा हुआ व्यवहार हमें करना चाहिये, व्यवहार कुशलता का ज्ञान हमें कई प्रकार की असुविधाजनक परिस्थितियों से बाहर ला सकता है।
      हमारा जो भी व्यवहार है, वह पलटता अवश्य है, शब्दों की मर्यादाओं का ध्यान रखें 
व सार्वजनिक जीवन में अपने आचरण को, 
वाणी व आचरण दोनों में सही तालमेल  रखें,
आप वाणी व  आचरण में जितना सही
तालमेल रख पाते हैं, वह आपको किसी भी क्षेत्र में आगे करता है। वाणी का प्रयोग हमेशा सोच- समझ कर, संतुलित करने का प्रयास हमें करना चाहिये।
      सार्वजनिक समारोह में अत्यधिक गंभीरता हमें नहीं रखनी चाहिये, सहज, सरल
व आत्मीयता पूर्ण व्यवहार हमें सभी से करना चाहिये।
     अपनी ओर से कभी भी अपशब्दों का प्रयोग हमें नहीं करना चाहिये, यह आपके व्यक्तित्व की गरिमा को गिराता है। 
      सभ्यता पूर्वक बात करने से हमारे व्यक्तित्व का प्रभाव बढ़ता है। अहंकार को जितना अपने जीवन से हम हटायेंगे, उतना ही व्यक्तित्व हमारा प्रखर होगा, अपने व्यवहार में एक संतुलन हमेशा रखें, क्योंकि आपका व्यवहार ही आपके जीवन में आगे ले जाता है।
        व्यक्तित्व के कई पहलुओं पर में से एक वाणी का प्रयोग भी है, जितना कुशलता पूर्वक हम इसका उपयोग करेंगे, उतना ही जीवन में हमें लाभ प्राप्त होगा। 
 विशेष:- व्यवहार- कुशल बने, किस प्रकार से हमें अपनी स्वयं की गरिमा को रखना है, वह हमें अपने व्यवहार से ही बताना होता है, शब्दों की गरिमा हमेशा बनाये रखें, व्यवहार कुशल अवश्य बने, मगर हमें इस बात से भी अनभिज्ञ नहीं रहना चाहिये, हमारे व्यवहार कुशलता का कोई अनुचित लाभ उठायें।
आपकाअपना 
सुनील शर्मा 
जय भारत, 
जय हिंद, 
वंदे मातरम



 

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