सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
उम्मीद है आप सभी को मेरी यह वैचारिक शैली व यात्रा पसंद आ रही होगी,
विविध विषयों पर जो भी मेरी अनुभूति रही है,
उसे कलमबद्ध करने का एक छोटा सा प्रयास है ।
आज का हमारा विषय है, सेहत, यानी व्यक्ति के पास सब साधन हो, पर सेहत अच्छी न हो, तो वह सब साधन भी फिर उसे व्यर्थ प्रतीत होते हैं, अच्छी सेहत के लिए हमें शारीरिक के साथ ही मानसिक ऊर्जा को भी बदलने का प्रयास करना चाहिये, क्योंकि शरीर की सेहत व मन की सेहत एक ही सिक्के के दोनों पहलू है, एक पुरानी कहावत भी है, " मन चंगा, तो कठौती में गंगा", यह केवल मात्र कहावत नहीं है, यह जीवन का असल सूत्र है, जो एक कहावत के माध्यम से हमें सारी बात बताता है।
और उद्धरण हम लेते हैं, तो पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख हाथ में माया, तीजा सुख प्रभु की छाया, तो यहां भी स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, हमारे पास सबसे पहले अच्छा स्वास्थ्य हो, फिर भौतिक सुख सुविधा भी हो, तो प्रभु की कृपा तो अपने आप ही प्राप्त हो जाती है।
सर्वप्रथम सेहत अगर हमारी अच्छी है,
तो हम स्वयं तो भीतर- बाहर से ऊर्जावान होंगे, साथ ही भौतिक संसाधनों का हम उपयोग करने में समर्थ होंगे, फिर तीसरा जो सुख है, वह परमपिता की, ईश्वर की अनुकंपा, यह तीन किसी भी व्यक्ति के जीवन में है, तो मानो वह स्वर्ग में ही है।
अगर सेहत अच्छी है, तो आप अच्छा महसूस करेंगे, साथ ही भौतिक साधन पास में होने से आपको सांसारिक चिंता भी नहीं होगी,
तब इन दोनों के साथ तीसरा जो सेहत व मानसिक सेहत का राज है, इन दोनों के साथ है ,उस परमपिता परमेश्वर की कृपा।
यह मेरी नजर में त्रिवेणी स्नान ही है, अगर यह तीन बातें किसी के भी जीवन में है,
तो वह मानसिक, शारीरिक व भौतिक तीनों ही प्रकार से समृद्ध है।
आंतरिक व बाह्य दोनों प्रकार की समृद्धि किसी के पास हो, तो फिर उसे ईश्वर की कृपा तो प्राप्त है ही, और इसके लिए हमें उन परमपिता का कृतज्ञ होना चाहिये, प्रभु का धन्यवाद, जिन्होंने हमें मानसिक, शारीरिक व भौतिक तीनों प्रकार से समृद्ध किया।
यह त्रिवेणी स्नान ही है, जब इन तीनों का संगम जीवन में हो, तो फिर मनुष्य को और क्या चाहिए?
यही प्रार्थना है, आंतरिक समृद्धि ही हमें बाह्य समृद्धि प्रदान करती है, वस्तुतः यह एक ही सिक्के के दो पहलू है।
आज हमें भौतिक संसाधनों की कोई कमी नहीं है, वह हमें प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, पहले जितनी कारे नहीं थी, सभी के पास,
अधिकतम लोगों के पास यह संसाधन उपलब्ध है।
मगर अच्छी सेहत इन सभी संसाधनों से ऊपर है, सेहत हमारी अगर अच्छी है, तभी हम बाकी सभी का जीवन में आनंद उठा सकते हैं, तो फिर आप क्या सोच रहे हैं?
आज से ही इस त्रिवेणी में स्नान करना प्रारंभ करिये, मानसिक, शारीरिक व भौतिक, यह भी एक त्रिवेणी ही है।
विशेष:- हम सभी के लिए अच्छी सेहत का मतलब केवल शारीरिक सेहत न होकर मानसिक भी हो, मानसिक व शारीरिक दोनों ही सेहत आवश्यक भी है, वह एक ही सिक्के के दो विपरीत पहलू है, जो हमारे जीवन में
अगर संतुलन के रूप में है, तो तीसरा सुख प्रभु की कृपा हमारे जीवन में है ही, उनका नित्य सुमिरन उनकी अनन्य कृपा को हम याद करते रहे।
आपका अपना,
सुनील शर्मा,
जय भारत,
जय हिंद,
वंदे मातरम।
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