सादर नमन,
आप सभी को मंगल प्रणाम,
आज प्रवाह में मेरा लेख है, ज्योतिष पर,
यह भी एक विज्ञान है, जिसमें अलग-अलग प्रकार की गणनाएं है, जैसे हस्तरेखा, कुंडली,
हस्ताक्षर विज्ञान, सामुद्रिक शास्त्र, अंक विज्ञान, वह हमारा तेज, हमारा जो चेहरे का
तेज है, वह भी हमारी आंतरिक जो भी विचारधारा है, उसका हमें परिचय दे देता है।
नक्षत्र ज्ञान भी उनमें से एक है, कुल 27 नक्षत्र होते है, जिसमें हमारी बारह राशियां
बटी हुई है, इन 27 नक्षत्र से ही 12 राशियों का निर्माण होता है।
सवा दो नक्षत्र की एक राशि मानी जाती
हैं, एक नक्षत्र के भी चार चरण होते हैं।
बारह राशियां भी चार तत्वों में बटी हुई है,
इनमें तीन जल तत्व, तीन पृथ्वी तत्व, तीन वायु तत्व, तीन अग्नि तत्व इस प्रकार से इन राशियों का निर्धारण है।
इनमें पृथ्वी तत्व की राशियां है,
वृषभ ,कन्या,मकर।
वायु तत्व की राशियां,
इनमें है मिथुन, तुला ,कुंभ।
जल तत्व की राशियां,
इनमें है, कर्क ,वृश्चिक ,मीन।
अग्नि तत्व की राशि है,
मेष ,सिंह , धनु ।
फिर स्वभाव के आधार पर।
चर राशि:- मेष, कर्क ,तुला, मकर।
स्थिर राशि:- वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ।
द्विस्वभाव राशि:- मिथुन, कन्या, धनु ,मीन।
लिंग के आधार पर।
विषम राशियां:- मेष, मिथुन, सिंह,तुला,धनु, कुंभ।
सम राशियां:- वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन।
इस प्रकार हम राशियों का वर्गीकरण पाते हैं।
फिर उनमें किस राशि में कौन से ग्रहों की प्रबलता है, कौन सा ग्रह किस ग्रह के साथ युति कर रहा है, कौन से ग्रह की दृष्टि कितनी है, वैसे हर ग्रह को सप्तम दृष्टि तो प्राप्त है।
इस प्रकार की अनेक गणनाएं ज्योतिष में होती है।
इस प्रकार राशियों का वर्गीकरण किया गया है।
27 नक्षत्र में भी हर नक्षत्र का अपना-अपना विशिष्ट गुण है, हर एक नक्षत्र के चार चरण होते हैं। एक नक्षत्र अभिजित नक्षत्र भी माना जाता है, इसे 27 नक्षत्र के अतिरिक्त एक अलग मान्यता दी गई है, ज्योतिषीय गणना में
मूल रूप से तो 27 नक्षत्र ही जाते हैं, इन 27 नक्षत्रों में हर नक्षत्र का मूल मंत्र भी है, उनकी जड़ी भी है, कौन से वृक्ष या वनस्पति की जड़, उसे नक्षत्र के अनुसार हम रखें ,यह नक्षत्र विज्ञान में बताया गया है।
अब हम आते हैं ज्योतिष की एक और शाखा अंक विज्ञान पर,
इसमें १ अंक को सूर्य माना जाता है, वह आत्मा का कारक व प्रशासनिक अधिकारी व प्रशासन से जुड़े कार्य इसके अंतर्गत आते हैं।
इसमें २ अंक को चंद्रमा का अंक माना जाता है, यह कला व मन का प्रतिनिधित्व करता है,
मानसिक शक्तियों व मनुष्य का व्यवहार कुशल होना हमें इससे ज्ञात होता है, यह किसी भी योजना को किस प्रकार से किया जाये, मिलनसार होने के कारण इसमें माहिर होता है।
अब हम ३ अंक पर आते हैं, यह अंक मूल रूप से बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है, यह ज्ञान का कारक है, मगर स्वाभिमानी भी है, अत्यधिक स्वाभिमानी होने के कारण होने इसमें तानाशाह, यानी हम जो कहे वही हो, ऐसा गुण भी पाया जाता है, मगर यह स्वभाव से किसी का अहित नहीं करते, इनका ज्ञान बहुत ही व्यवहारिक व नियमों पर आधारित है, वे वह स्वयं भी नियमों पर चलते हैं, वह सामने वाले से भी इसी की अपेक्षा रखते हैं, एक तरह से कठोर शिक्षक इन्हें कहा जा सकता है, इनका ज्ञान विस्तृत होता है।
अब हम अंक ४ को लेते हैं , अंक चार राहु का अंक है, यह अत्यंत तीक्ष्ण बुद्धि का मालिक है, मगर यह अपने अनुसार ही कार्य करता है,
इस अंक से प्रभावित व्यक्ति को प्रशंसा बड़ी अच्छी लगती है, आप इस अंक से प्रभावित व्यक्ति को केवल काम सौंप दीजिये, मगर उसे तरीका मत बताइये, वह कार्य को अपने तरीके से ही करना पसंद करता है, मगर कार्य कैसे होगा? वह भलीभांति जानता है, मगर उसे रोक-टोक पसंद नहीं,इस अंक से प्रभावित व्यक्ति अपने तरीके से ही कार्य करना पसंद करते हैं। एक सफल कूटनीतिज्ञ
इसी अंक के अंतर्गत आते हैं, एक सफल राजनीतिज्ञ में अच्छा राहु होना बड़े ही अच्छे संकेत होते हैं, आज हम जो तकनीकी ज्ञान को कर पा रहे हैं, जिसे हम डिजिटल कहते हैं, वह भी राहु की ही देन है, एक तरफ से हम कह सकते हैं एक अच्छे राहु प्रधान व्यक्ति में बातचीत की कुशलता पाई जाती है, एक विशेष आकर्षण इस प्रकार के जातक में देखने को मिलेगा।
अब हम अंक ५ पर आते हैं, अंक पांच बुध का अंक है, बुद्धि का कारक, इस अंक से प्रभावित व्यक्ति एक कुशल वक्ता होता है,
यह अंक मध्य का अंक है, अतः सभी अंकों का सहयोग इसे प्राप्त है, इस अंक को सभी अंकों का सहयोग प्राप्त होता है, मगर अत्यधिक विचार करने के कारण स्नायु मंडल से जुड़ी समस्याएं देखने को मिलती है, जिसे हम अंग्रेजी में नर्वस सिस्टम भी कहते हैं, अंक पांच के व्यक्तियों को अत्यधिक विचार करने से बचना चाहिये, पर यह इस अंक का मुख्य स्वभाव है, तो यह विशेषता इस अंक के जातक के भीतर होगी ही, व्यापार के लिये,
लोगों से मित्रता किस प्रकार की जाये, सामंजस्य स्थापित करने में इसका कोई सानी नहीं, कब क्या करना है? इस मामले में यह चतुर होता है, संवाद की कुशलता बुध ग्रह से प्रभावित व्यक्ति में पाई जाती है।
शेष फिर अगले अंक में।
ज्योतिष विज्ञान भी एक वृहत शास्त्र है, इसकी कई शाखाएं हैं, अपना अपना तरीका है, मगर आश्चर्यजनक रुप से हमें ज्ञात होता है, ज्योतिष की सभी विधाएं लगभग एक दूसरे से मिलते-जुलते परिणाम ही बताती है, और यहीं से ज्योतिष विज्ञान के महत्व का हमें पता चलता है, हमारा प्राचीन विज्ञान अत्यंत है, यह घर शोध का विषय है, आप जितना इसे जानेंगे ,उतना लगेगा कम जाना है।
विशेष:- हम सभी परमपिता के बनाये इस सृष्टि चक्र में रहते हैं, इसमें भी कई भेद हैं, मगर ज्योतिष विज्ञान ऐसा विज्ञान है, जो आपका मार्गदर्शन करता है, वह यह बताता है कि आपकी जो मूल प्रवृत्ति है, वह जन्म से किस प्रकार की है, तो आपको अपने जीवन यापन हेतु कौन सी आजीविका का चयन करना चाहिये, किस प्रकार के परिणाम आपके लिए सकारात्मक रहेंगे, वह आपके मूल व्यक्तित्व के अनुसार उसे निर्धारित करता है, यही ज्योतिष विज्ञान की मूल अवधारणा है, और आश्चर्यजनक रूप से हमें देखने को मिलता है, यह सत्य है। मगर हम इसे जितना गहराई से जानेंगे, उतना ही हमें आनंद व व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त होगा।
आपका अपना,
सुनील शर्मा,
जय भारत,
जय हिंद,
वंदे मातरम।
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