दिशाबोध

प्रिय पाठक गण,
    सादर नमन, 
आप सभी को मंगल प्रणाम, 
 प्रवाह की इस मंगलमय यात्रा में आप सभी का स्वागत है।
     मनुष्य का जीवन एक लंबी यात्रा है, जब वह अपना सफर करता है, तो उसे सर्वप्रथम वह परिवार, जिसमें वह पला बढ़ा, उसके पारिवारिक संस्कार, जो उसे प्राप्त हुए, उसकी परवरिश, उसके बाद उसका स्वयं का अपना
संघर्ष, यह सब उसकी जिंदगी में अनिवार्य आते ही है।
              इन सभी के बीच में परिवार की मान्यताएं, सामाजिक मान्यताएं, इन सबके बीच में व्यक्ति को उसकी नैसर्गिक  ऊर्जा जो प्राप्त हुई, परमात्मा से, वह या तो क्षीण होगी 
या उसमें वृद्धि होगी, अगर ऊर्जा क्षीण होती
हैं, तो निश्चित ही उसकी दिशा जिधर वह जा रहा है, सही नहीं है, और अगर उस ऊर्जा में अभिवृद्धि हुई है, तो वह सही दिशा की और जा रहा है। सवाल यह है कि हम अपने जीवन में इस सकारात्मकता का पता किस प्रकार करें , तो अपने आप को जांचे, अपना संपूर्ण जीवन आपने मातृ भोग-विलास में ही बिता दिया है, या अपने जीवन का इससे हटकर कुछ अलग उद्देश्य आपने तय किया है, जीवन की इस यात्रा में आपके सामने निश्चित ही कई पड़ाव आते हैं, तब आपको फैसला करना ही होते हैं, अन्य कोई भी उपाय नहीं होता, उस परिस्थिति में आप क्या फैसला कर रहे हैं, वह स्वविवेक, तात्कालिक परिस्थितियां, अनुकूलता, प्रतिकूलता सब कुछ हो सकता है, इस यात्रा में आपने जो निर्णय लिये है, वह दूरगामी  परिणामों को देखकर लिये है अथवा नहीं, अगर आपने अपने फैसले के दूरगामी परिणामों पर विचार किया है, तो निश्चित ही आपके फैसले सही होंगे, किसी भी निर्णय को लेने का बाद में क्या परिणाम उपस्थित होगा, यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है।
         इसमें सबसे अधिक मूल्य आपके पारिवारिक संस्कारों का है, उन संस्कारों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका इसमें होती है, वर्तमान परिस्थितियों जो भी अच्छी या बुरी निर्मित हुई है, वह हमारे अपने फैसलों का ही परिणाम है, आगे भी आप जो फैसला गहरी समझ के आधार पर लेंगे, वह अधिकतम सही दिशा की और ही होगा। 
     हमारा जीवन केवल हमारा ना होकर परिवार ,समाज दोनों से जुड़ा हुआ है, हम परिवार व समाज की मात्र एक  इकाई है,
इसलिए हमारे फैसलों का दूरगामी परिणाम हमारे परिवार व समाज पर पड़ता ही है।
     हमें हमेशा कोई भी फैसला लेते समय तात्कालिक परिस्थितियां व दुरगामी  परिणाम 
दोनों का ही चिंतन करना चाहिये,  तात्कालिक व दीर्घकालिक फैसला आप अपने जीवन के अनुभव के आधार पर भी ले सकते हैं। 
      समयानुकूल निर्णय आपने कितने बुद्धिमत्ता पूर्वक लिये हैं, वही आपके जीवन के परिणाम बदलेगा। जो भी व्यक्ति अपने जीवन की शुरुआत में सही दिशा में संघर्ष करता है, वह अपनी बाद का समय सुखपूर्वक बिताता है, हमारे इसी जीवन में हमारे द्वारा किए गए कर्म या तो हमें ऊपर उठाते हैं या नीचे गिराते हैं, कोई अन्य इसके लिए कभी दोषी नहीं हो सकता। 
       अपनी दैनिक दिनचर्या का स्वयं आकलन अवश्य करते रहे, बिना किसी सोच विचार के जीवन रूपी नौका किधर जायेगी,
पता नहीं, अगर आपको दिशाबोध या ज्ञान नहीं हो रहा तो आप पुरानी कहावतों  का सहारा भी ले सकते हैं, क्योंकि वे काफी अनुभव के बाद ही बनाई हुई होती है, अथवा अनुभवी व्यक्तियों का मार्गदर्शन ले, किसी गुरु या ग्रंथ का आश्रय ले, स्वयं चिंतन भी करते रहे, जीवन को सही मूल्यों के साथ जीना, भले ही थोड़ी तात्कालिक परेशानी हमें उठानी पड़े, यही हमारे जीवन में सबसे अधिक आवश्यक है। 
विशेष:- हमारा, आपका सभी का जीवन एक यात्रा ही तो है, इस यात्रा में हमें कई साथी मिलेंगे, बिछड़ेंगे, पर अपना स्वयं का निर्णय, 
हमें किस प्रकार का जीवन जीना है, यह हम स्वयं ही तय करते हैं, जिस प्रकार का हमारा सोच विचार होगा, उसी प्रकार की हमारी रणनीति भी होगी। जीवन कैसा जीना है, यह हमारे फैसलों पर ही निर्भर है।
आपका अपना 
सुनील शर्मा, 
जय भारत, 
जय हिंद, 
वंदे मातरम।


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